जाति व्यवस्था मुगल और अंग्रेजो की देन
#जाति_व्यवस्था_मुगल_और_अंग्रेजो_की_देन आशु पटेल (1) गौत्र वर्ण वंश और जाति को समझें #गौत्र सनातन वैदिक काल में गौत्र अपनाने की परंपरा रही। गौत्र पीढ़ी दर पीढ़ी चलते रहे। संतान को गौत्र पिता से मिलता था। एक कबीले के लोगों का गौत्र समान था। गौत्र परंपरा एक कबीलाई संस्कृति से उत्पन्न बनी। एक कबीला अपनी पहचान के लिए एक गौत्र को अपनाता था। समान गौत्र में शादी संबंध नहीं होता था।गौत्र के नाम ऋषि व प्राकृतिक आराध्य के नाम पर आधारित होते थे। लेकिन ऋषि के नाम पर गौत्र रखना ज्यादा प्रचलित था। जो कबीला जिस ऋषि को या प्राकृतिक पदार्थ को आराध्य मानता था उसी के नाम पर गौत्र का नाम दे देता था। #वर्ण वैदिक व्यवस्था में चार वर्ण हुए। जो कर्म आधारित थे। जिससे कारण एक ही गौत्र वाले कबीले में वर्ण अलग अलग हो गए। मतलब एक ही गौत्र के समूह में कुछ ब्राम्हण, तो कुछ क्षत्रिय वैश्य शुद्र हो गए। आज भी आपको विभिन्न अलग अलग जातियो में समान गौत्र मिल जाएगे। जैसे कश्यप गौत्र राजपूत बनिया ब्राम्हण व अन्य जातियों में भी मिल जाएगा। अंतर वर्ण विवाह तो होते थे लेकिन समान गौत्र में शादी अभी भी नहीं होती थी। वैदिक